Tuesday, 8 March 2011

kaam katha mein aapka swagat hai

hi   मेरा नाम शिल्पा है और मै आपको अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ ......यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है बल्कि एक सच्ची घटना है जिसने मेरा और मेरे पूरे परिवार का जीवन  ही बदल कर रख दिया . मै  एक बैंक मेनेजर हूँ और बंगाल में सुन्दर बन के डेल्टा में sbi  की एक ब्रांच की मेनेजर हूँ .यह बैंक की एक चलती फिरती शाखा है जो उस इलाके में फैले टापुओं में मोटर boat  के ऊपर लोगों को बैंक की सेवा देती है . बैंक ने मुझे एक टापू के ऊपर एक बंगला बना कर दे रखा है जहाँ मैं अपने बेटे और बेटी के साथ  रहती हूँ . मेरी उम्र 40 साल है मेरी बेटी रश्मि  20  साल की और मेरा बेटा मनु 18   साल का है . मेरे पति का देहांत तभी हो गया था जब मेरा बेटा अभी सिर्फ दो महीने का था . उनकी मौत के बाद मुझे उनकी जगह नौकरी मिल गयी.बैंक के बड़े अधिकारीयों ने सोचा की चलो एक जवान और बेहद खूबसूरत विधवा को नौकरी दे कर वो भी गंगा नहा लेंगे . परन्तु पति की मौत के बाद पता नहीं मेरे शरीर में ऐसा क्या परिवर्तन आया की मैं एक दम से बदल गयी. शर्रीर से सेक्स की भूख बिलकुल ख़तम हो गयी. बैंक के general  manager जिन्होंने नौकरी दिलाने में मेरी बहुत मदद की थी , उन्होंने कई बार मुझे डेट पर बुलाया .मैं गयी भी पर वहां जाते ही जैसे मुझे सांप सूंघ जाता था .मैं एक दम frigid  हो गयी थी . इस से नाराज़ हो कर उन्होंने मेरी पोस्टिंग एक सज़ा के तौर पे यहाँ इन टापुओं पर कर दी पर मुझे ये जगह भा गयी और यहाँ के लोग भी मुझे भा गए और मैं यहीं की हो कर रह गयी. अब मैं यहाँ रोज़ मोटर बोट से इन टापुओं के लोगों के लिए बैंक की सुविधा देती हूँ .हमारे ग्राहक यहाँ के रहने वाले मछुआरे है . मेरी जिंदगी अपने दो बच्चों के साथ  मज़े से कट रही थी की अचानक एक दिन सब कुछ बदल गया .........
                                       मै और मेरे बच्चे यहाँ इस टापू पर २० साल से रह रहे हैं ...सबसे नज़दीक शहर यहाँ से ५० किलो मीटर दूर है .... जरूरत की सब चीजें हम मंगवा लेते हैं स्वाति और मनु की माँ बाप ticher  दोस्त सब कुछ मै ही तो हूँ ....वो कभी स्कूल् कॉलेज  नहीं गए.  मैंने ही उन्हें पढे लिखाया ...अब वो दोनों ignou   से ba कर रहे हैं.सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था  .पर एक दिन मैंने महसूस किया की मनु आजकल बहुत चुप  chaap रहता  है  .बहुत  चिड   चिड़ा  हो   गया   है  . किसी  काम  में  उसका  मन  भी  नहीं  लग  रहा  है  .....शुरू  में  to मैंने  ध्यान  नहीं  दिया  पर  एक  दिन  वह  table   से  बिना  खाना  खाए  ही   उठ  गया  .अब  मुझे चिंता होने लगी थी. मैंने उस से बात करने की कोशिश की पर उसने कोई जवाब नहीं दिया . फिर एक दिन मैंने उसके कमरे की तलाशी लेने का निर्णय लिया .वो दो सामने lawn में टेनिस खेल रहे थे . मैं मनु के कमरे में गयी. कमरे में निगाह मरी .कुछ भी अलग नहीं था .सब सामान्य था . मैंने सब अलमारियां चेक की . सब कुछ नोर्मल था .फिर मैंने किताबें चेक की .वहां भी कुछ नहीं मिला . कुछ पुराणी किताबें और कागज़ पड़े थे . वहां मुझे वो sketch बुक मिल गयी. उसमे मनु की drawing थी .उसमे मेरा एक चित्र था .अगला चित्र मेरे चेहरे का क्लोसे उप था .अगले चित्र में मेरे boobs blouse के अन्दर से दिख रहे थे .अगले चित्र में मै semi nude थी . मामला अब धीरे धीरे मेरी समझ में आ रहा था . 
                              अब मैंने और तलाशी लेने का मन बनाया . पुराने कपड़ों की एक अलमारी थी .उसमें सबसे नीचे ........बहुत सम्हाल कर राखी थी मेरी और स्वाति की panty और ब्रा .वो पंटी जो मैंने परसों पहनी थी .और कल उतर कर गंदे कपड़ों में डाल दी थी .सन्डे को धोने के लिए .मैंने स्वाति की पंटी को ध्यान से देखा . मुझे मालूम था की मर्द औरतों की पंटी और ब्रा से खेलते हैं .मेरे पति भी मेरी panty सूँघा करते थे .और masturbate करते थे .पर मनु  ???????.मेरी और स्वाति की पंटी  ?????? एक बार तो मुझे बहुत गुस्सा आया .....फिर पता नहीं क्यों मै ने स्वाति की पंटी को उठाया और गौर से देखने लगी .....और फिर उसे अपनी नाक तक ले गयी ....ओह्ह कितनी मादक सुगंध थी उसमें ........मुझसे रहा नहीं गया ......मैंने अपनी पंटी भी सूंघी ...दोनों  की गंध अलग अलग  थी .........तो क्या मनु हमारी panty से .......????????????? मुझे पता नहीं क्या हो रहा था .मैंने स्वाति की पंटी फिर उठाई ......और उसे सूंघने लगी ...मुझे एक अजीब सा एहसास हुआ ....वो एहसास जो बीस साल से नहीं हुआ था ..........बड़ी मादक सुगंध थी ......मुझे हलकी सी सिहरन हुई .....और वहां ....टांगों के बीच ...गुदगुदी सी ......तभी गड़बड़ हो गयी.स्वाति की मादक गंध में मैं सब कुछ भूल गयी  थी  और जब मैंने आँख उठा कर देखा तो वो दोनों वहां खड़े थे ......स्वाति और मनु ....मैं एकदम से चौक गयी. कमरा बिखरा हुआ था ....और मेरे हाथ में स्वाति की पंटी थी .....मनु एकदम से घबरा गया ........म्मम्म.....म्मम्मम्मम...माँ i   ऍम    स्स्स्सस्स्स्स         sorrrrrrry .वो एकदम हकलाने लगा था ......म्मम्मम्म    मुझे  म्मम्मम्म माआफ क्क्क्कक कर द्द्दद्द्द दो .....और वो धडाम से फर्श पर गिर गया .अब घबराने की बारी मेरी थे .....स्वाति .....मैं भाग कर उसके पास गयी ...स्वाति जल्दी से पानी लाओ . मैंने मनु का सर अपनी गोद में लिया .स्वाति पानी ले आई थी ..मैंने पानी के छीटे  मनु के मुह पर मारे .उसे धीरे धीरे होश आया .वह फिर हकलाने लगा .....म्मम्मम माँ .....इ ऍम सॉरी ......कोई  बात नहीं बेटा डरो मत मामा नाराज़ नहीं है...ममा तुमसे बिलकुल नाराज़ नहीं है यह कह कर मैंने उसे गले लगा लिया और स्वाति को धीरे से जाने का इशारा किया . वह चली गयी. मनु फूट फूट कर रोने लगा . मैंने उसे चुप कराया .उसे शांत किया और बहुत देर तक गले लगा कर लेटी रही .उसने मुझसे पुछा माँ क्या आप वाकई मुझसे नाराज़ नहीं है ? मैंने उससे कहा हाँ बेटा ...मैं वाकई नाराज़ नहीं हूँ .....और दीदी ....वो तो नाराज़ होगी न ......तुम उसकी चिंता मत करो ...उसको मै समझा दूँगी ...वो तुम्हे कुछ नहीं कहेगी ......  यह सुन कर वह एकदम relaxe हो गया .उसने एक लम्बी सांस ली और मुझसे कास कर लिपट गया ....मैंने भी उसे गले लगा लिया ....और माथे पर एक चुम्बन दिया ......i love you बेटा ......उसने भी मुझे चूम लिया .....पहले माथे पर ....फिर गालों पर  ......और फिर धीरे से मेरे लिप्स पर . ...और फिर वह सो गया .......मै धीरे से बाहर आ गयी.....स्वाति परेशान थी ...और थोड़ी नाराज़ भी ....उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था .मैंने उसे समझाया की मामला क्या है ...की मनु मेरी और उसकी पंटी से ......पर ममा वह हमारी panties क्यों पहनता है ...उसके पास अपने भी तो है ....ओह हो स्वाति ...तुम समझती क्यों नहीं .....वह हमारी panties पहनता नहीं है ....वो तो ......फिर क्या करता है ????मैं उसे समझा नहीं पा रही थी  .........मैंने उस से कहा ...बाद में बात करेंगे .....
  मैं परेशां थी ....मुझे लगा अब इन दोनों को बैठा के कायदे से समझाना पड़ेगा .उस अकेले निर्जन टापू पर रह कर ये दोनों एकदम अनजान थे इन सब बैटन से ....इसलिए मैंने निर्णय लिया की मैं एक teacher   की तरह इन्हें teach करुँगी जैसे एक biology की teacher पढ़ाती है . थोड़ी देर में मनु सो कर उठ  गया .....वह एकदम relaxe लग रहा था .    



baaki agle ank mein .....to be  continued